हम भी हैं ब्लॉग के मैदान में; लेकर अपनी चाबुक !
यह जो चाबुक है यह नियंत्रक है ,ख़ुद का भी तथा औरों का भी।
हमारे समय की विडम्बना भी यही है कि एक अदृश्य चाबुक हवा में लहराता है और हमारे सपनों से लेकर हमारे यथार्थ के घोडों तक की नंगी पीठ पर सटाक से पड़ता है और उधडी हुई पीठ से ढेर सा खून बह निकलता है। चाबुक के बहाने ही हम हम ब्लॉग की दुनिया में आत्मनियंत्रण ले कर आए हैं।
आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है | जाहिर है विमर्शों और विवेचनाओं की इस जंग में जहाँ कुछ खतरे भी हैं वहीँ चुनौतियों के साथ साथ अपने मन की बात कहने का एक माध्यम भी!
ReplyDeleteआपका चाबुक मुझे लगता है ...पाठकों की त्वरित टिप्पणियाँ ही होंगी | जाहिर है यदि आप आत्मनियंत्रण की बात कर रहे हैं तो असली चाबुक तो आपके पाठको के हाथ में ही है |
हमारी शुभकामनाएं!!!